बच्चों का व्यव्हार क्यों बदलता जा रहा हैं ?

बदलते समय के साथ बच्चो का व्यव्हार 

 
क्या कारण है की बदलते समय के साथ बच्चो का व्यव्हार बदलता जा रहा हैं ?

इसका  कारण कही ना कही हम स्वयं हैं |  मुझे स्वयं यह प्रेरणा अपने  बच्चो को देखकर मिली और अपने आस -पास के बदलते परिवार और बच्चो को देख कर मिली  जैसे ही बच्चा किसी भी चीज़ को पकड़ना  सीखता है तो उन्हें सबसे पहले मोबाइल पकड़ा दिया जाता है और परिवारवाले खुश हो कर बच्चे को प्रोत्साहित करते हैं उसके बाद बच्चा फोन के लिए ज़िद करने लगता है | धीरे -धीरे बच्चा फोन का आदि हो जाता है और हम तब घबरा जाते है क्योंकि उसके इस आदत का प्रभाव उसके भविष्य को ख़राब करना शुरू कर देता है | हम उसके साथ जबरदस्ती करने लगते है जबकि उसकी इस आदत के जिम्मेदार हम स्वयं है | अपनी किसी भी आदत को छोड़ना आसान है यह प्रश्न यदि हम अपने आप से करेंगे तो हमे पता चलेगा की हमने कितनी बड़ी गलती की है | उन्हें डाट कर कितनी बड़ी गलती कर रहे है | जब मैने अपनी फोन की आदत छोड़ने की कोशिश की तो मुझे पता चला की बहुत ज्यादा मुश्किल है | लेकिन मैंने अपने बच्चों के लिए स्वयं की आदतों में सुधार किया बड़ा कारण यह है की बच्चे सब कुछ हम से सीखते है इसलिए पहले हमे बदलना होगा | मेरे अनुभव के अनुसार जब मैंने अपनी इस आदत का त्याग किया सिर्फ बच्चा ही नहीं बल्कि बहुत सारी चीज़े सही  हो गई | मरे साथ-साथ बच्चे का मन भी अच्छी चीज़ो में लगने लग गया |ना केवल बच्चा बल्कि मेरे भी व्यव्हार में बदलाव आ गया | गुस्सा, परेशानी सब कुछ खत्म हो गया बिना किसी जबरदस्ती के ,बिना चिल्लाए |  अंत मे  मैं यहीं कहना चाहूँगी की सबसे बड़ी बात यह है की जिस दिन हम अपनी गलती ढूंढना चालू कर देंगे ,उस दिन सब कुछ अपने आप ठीक हो जायेगा | 
   

इसका  कारण कही ना कही हम स्वयं हैं |  मुझे स्वयं यह प्रेरणा अपने  बच्चो को देखकर मिली और अपने आस -पास के बदलते परिवार और बच्चो को देख कर मिली  जैसे ही बच्चा किसी भी चीज़ को पकड़ना  सीखता है तो उन्हें सबसे पहले मोबाइल पकड़ा दिया जाता है और परिवारवाले खुश हो कर बच्चे को प्रोत्साहित करते हैं उसके बाद बच्चा फोन के लिए ज़िद करने लगता है | धीरे -धीरे बच्चा फोन का आदि हो जाता है और हम तब घबरा जाते है क्योंकि उसके इस आदत का प्रभाव उसके भविष्य को ख़राब करना शुरू कर देता है | हम उसके साथ जबरदस्ती करने लगते है जबकि उसकी इस आदत के जिम्मेदार हम स्वयं है | अपनी किसी भी आदत को छोड़ना आसान है यह प्रश्न यदि हम अपने आप से करेंगे तो हमे पता चलेगा की हमने कितनी बड़ी गलती की है | उन्हें डाट कर कितनी बड़ी गलती कर रहे है | जब मैने अपनी फोन की आदत छोड़ने की कोशिश की तो मुझे पता चला की बहुत ज्यादा मुश्किल है | लेकिन मैंने अपने बच्चों के लिए स्वयं की आदतों में सुधार किया बड़ा कारण यह है की बच्चे सब कुछ हम से सीखते है इसलिए पहले हमे बदलना होगा | मेरे अनुभव के अनुसार जब मैंने अपनी इस आदत का त्याग किया सिर्फ बच्चा ही नहीं बल्कि बहुत सारी चीज़े सही  हो गई | मरे साथ-साथ बच्चे का मन भी अच्छी चीज़ो में लगने लग गया |ना केवल बच्चा बल्कि मेरे भी व्यव्हार में बदलाव आ गया | गुस्सा, परेशानी सब कुछ खत्म हो गया बिना किसी जबरदस्ती के ,बिना चिल्लाए |  अंत मे  मैं यहीं कहना चाहूँगी की सबसे बड़ी बात यह है की जिस दिन हम अपनी गलती ढूंढना चालू कर देंगे ,उस दिन सब कुछ अपने आप ठीक हो जायेगा | 
   


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