शायद बुज़ुर्गो की वो प्यारी सी जनरेशन अब समाप्त हो चुकी हैं

 हम सतसंग ,पूजा ,दान सब कुछ करते हैं | क्या इतना काफी है ,अपने माता-पिता ,बुजुर्ग ,गरीब का ख्याल न रख कर उनको इग्नोर करके बाकी सब कुछ करते हैं | ऐसा क्यों ?

शायद बुज़ुर्गो की वो प्यारी सी जनरेशन अब समाप्त हो चुकी हैं 

आज मैं आप सब से मेरा एक और अनुभव सांझा करना चाहूंगी | ये बात मेरे अंतर मन मे  बचपन से चल रही है की ऐसा क्यों .......मैंने अपने माता-पिता को हमेशा अपने बेटो के प्यार के लिए तरसते देखा है | हमेशा उनके बारे मैं सोचते देखा है ,सब कुछ भूल कर अपने बच्चों को प्यार ही देते देखा चाहे बेटो ने उनका सिर्फ तिरस्कार और अपमान किया | अपने बच्चो के गलत व्यव्हार के बाद भी वो कैसे इतना प्यार करते थे | इस बात की मुझे आज भी हैरानी होती है | आज मै भी दो बच्चों की माँ हूँ ,मेरी 15 साल की बेटी है जब भी वो मुझसे किसी बात को लेकर बेहेस करती है तो मेरे दिल में एक ही बात आती है की एक माँ बच्चे को पालने मे अपनी जान लगा देती उसकी सारी खुशी उसके इर्द -गिर्द घूमती है और बच्चा भूल जाता है | मुझे बहुत दुःख होता है मैं डिप्रेशन मे चली जाती हूँ फिर कैसे???????? मेरे माता -पिता इतने शांत रहते थे | जिन्होंने उन्हें रोटी तक के लिये तरसाया 

कल और आज-

शायद बुज़ुर्गो की वो प्यारी सी जनरेशन अब समाप्त हो चुकी हैं अब हमे समझ चुका हैं की हमें अपने आप को भी महत्व देना चाहिए जाहा पर बच्चें ग़लत है वहाँ हमें उन्हें समझाना हैं उन्हें याद दिलाना हैं की उनको चलना हमने ही सिखाया हैं एक पेड़ की तरह उनकी रक्षा करी है |

इस दुःख का अंत -

इस दुःख से बचने के लिए क्या किया आप सब जानना चाहेंगे | मैंने अपनी सोच को बदल दिया मैंने बच्चो का ध्यान रखने के साथ -साथ थोड़ा सा ध्यान अपनी तरफ दिया तब मुझे पता चला की अब मुझे कुछ ऐसा करना चाहिए जिससे मुझे ख़ुशी मिले और मैंने अपनी बातें आप सबसे ब्लॉग के माध्यम से शेयर करना शुरू किया ताकी मेरे जैसे लोगो को शयद अपनी परेशानी का हल मिल जाए | मेरी इस छोटी सी कोशिश के लिए मुझे कमेन्ट जरूर करे |

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